देशी लोगों में काफी प्रचलित ये कहावत है। बड़े-बुजुर्ग अक्सर इस कहावत को प्रयोग करते रहते है। जो भी व्यक्ति इसके सुनने लिए भागीदार होते है।


इसकी विशेषता निम्न प्रकार है।
विशेषता :
                 किसी भी व्यक्ति को एक दम अपना ही झंडा ऊँचा रखना हो, चाहे उसकी बात या उस व्यक्ति विशेष का भी इतना महत्त्व न हो,  जितना वो दिलाना चाह रहा हो, या अपना झंडा ऊँचा रखना चाह रहा हो, वहाँ पर उस व्यक्ति विशेष के लिए ये कहावत सही बैठती है, कि "गांड सूख के भई छुआरा, झंडा ऊँचा रहे हमारा" । 

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